गम न कर

गम न कर
ऐ मेरी हमसफ़र

वक़्त निकलेगा
तो टीस थोड़ी कम होगी
जख्मों की खीच थोड़ी नम होगी

साँस लोगी तो
आह नहीं निकलेगी
रुकते क़दमों की आहट संभलेगी

आँसू टपकेंगे
तो तर जाओगी
खुद अपने ही
दुखों से उभर जाओगी

गम न कर
ऐ मेरी हमसफ़र

अभी सोचती नहीं
पर वक़्त ऐसा आएगा
आसमान नीला होगा
दिल बहल जाएगा

फूलों में खुशबू होगी
चेहरे पे नूर
बातों में रंगत होगी
आखों में सुरूर

गम न कर

हाथ पकड़ोगी
तो दामन ना कोई छुडाऐगा
साथ चलने को
जमाना बहलाऐगा
गम न कर

दिल को भर दे
तर दे रवानी से
फिर बहाना नहीं आँसू
कभी इस खुदगर्ज़ पे
दर्द डूबेगा
आज इसी तर्ज़ पे

किस खुदा ने कहाँ है
ज़िन्दगी ख़त्म करो
एक शख्स पर ही
बंदगी वरण करो

दिल का मौसम है
हरा होगा
और अभी
और अभी
और अभी

गम न कर
ऐ मेरी हमसफ़र

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