दिलों के बाज़ार

मिलती है इस ज़मीन पर
ज़रुरत की सारी चीज़ें
एक दिल ही नहीं मिलता
सौदे की दुकान में

खाली खाली सी

वीरान सड़कों पर
दिल का सुकून

ढूँढता है आदमी

कभी काम में, कभी खेल में

कभी मेल में, कभी मय में

जूनून ढूँढता है आदमी

बरसों सूखी बंज़र ज़मीन पर

बरसता नहीं पानी

तीन प्यार के शब्दों को

तरसता है आदमी

लव्जों में लपेट के अपनी ज़रूरते

खुद ही धोखा खाता है आदमी

तसल्ली मिलती नहीं

दो पलों के रिश्तों में

इन्ही में ज़िन्दगी तराशता है आदमी

हर मोड़ पे बिछी है
ख्वाहिशों की बस्तियां

तेरी और मेरी

रंजिशों की हस्तियाँ

हर मोड़ पे बनाता है
अपने दिल का मकान

कोई टूट जाता है
कोई तोड़ देता है
जब देखो निचोड़ देता है

मिलते नहीं इस जहाँ में
हमसफ़र बाज़ार में
वरना हम भी
चंद सिक्के इक्कठे कर लेते
दिलों के बाज़ार में


मिलती है इस ज़मीन पर
ज़रुरत की सारी चीज़ें
एक दिल ही नहीं मिलता
सौदे की दुकान में

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