इंतज़ार

काश हमने कह दिया होता
और तुमने सुन लिया होता

कभी तुम भी तो कुछ कहा करो
सरे शाम हमसे मिला करो

ये जूनून सर पे चड़ा है अब
के दिल बुरी तरह बेखबर

तूने मुझसे सब कुछ कह दिया
वो कहा नहीं जो चाहिए

मुझे और कुछ भी न चाहिए
इकरार हो तो करार मिले

यूँ ही बेसबब न फिरा करे
लेके दिल अँधेरी गलियों में
गिरे फीर उठे और फीर गिरे

कहाँ जाये कहाँ से लेके आये
सुकून उम्र भर का हम
तुझे तीन लव्ज़ है कहने
अपनी जान अटकी हलक में है
इसी इंतज़ार में हमदम

बेखबर से रहते है
कुछ सुनते है
कुछ कहते है

रौशनी जहाँ को हम
तेरे नाम की ही देते हैं

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