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Showing posts from July, 2010

हरे ज़ख्म

धूप में, गर्द में इस जमीं के गर्भ में निकली है आह कोई दिल की हर तर्ज़ में धूप दो , छाव दो छोड़ दो या तोड़ दो दिल को हर तरह अभी इसी जमीन में रौंद दो जान भी है हौसला हुस्न भी दर्द भी दिल गँवा सको तो तुम वक़्त को दफ़न करो हौसले बुलंद करो वादों की बिसात क्या शब्दों का उछाल क्या जाने बात और क्या सबको भूल जाने दो आएगा जो आएगा पल भी देख लेंगे हम तुम रहो न रहो हमको हो मलाल क्या जाने क्यूँ ये कह दिया जाने क्यूँ वो सुन लिया शब्दों के जाल का ख़त्म करो सिलसिला आज डूब जाने दो सारे जख्मों को यहीं आज दिल नहीं मेरा फिर कभी , फिर कहीं

A Dance of Destiny

When did I say I liked you at first glance You looked so vague When did you say You didn't like me at first glance Despite my arrogance Talking Singing Eating Knowing Laughing ………..together When did I know That I fell for you And you for me When did I start Missing your calls Your presence Your words Your essence When did you start Wanting more Needing much Missing more Living less Making a mess Of your emotions When did 'we' become an 'us' How did life play out Like this Why do we push Each other away Everytime We get closer Why do we struggle so much within us and with each other which questions have not been answered for us which answers have not been questioned by us what is this connect that can't be broken this pull which we feel with all my senses and yours too what fatal attraction is this that neither can deny even if we lie…. or is this just a mirage waiting to be dispelled once again?

A Time to Remember

The day we first met Skepticism in your glance Nervousness in my heart Shadows dancing in the evening glass The first look With me in white A glance and you were hooked Your words Dipped in honesty Laced with courage And I was captivated Never trusted a man So fast so easily before You were so easy to trust Heavens sent me this match Secure and dependable Pure and honest Like a breath of fresh air In life's forest Two soul mates Finally met On a late evening in march when the evenings melt We both knew that This can't be stopped No one on this earth You couldn't have topped Amazing ups and downs We have traversed The roads of life We couldn't have rehearsed Through life we have rowed Each other we have vowed Wouldn't have had it Any other way With you by my side I can climb mountains you can slay demons And lead temptations astray We've had our fights And upsets But none big enough To cause a tear or think of regrets You live through me I live through you...

A Place Called Waiting

in a place called waiting all of us wait for the bus wait for the maid wait for lunch or wait for a hunch all of us in a place called waiting wait for a smile wait for a nod wait for a word or wait for the right time all of us in a place called waiting wait for God wait for love wait for lust or wait for a hug all of us in a place called waiting wait for peace wait for heaven wait for joy or wait for life to happen all of us in a place called waiting

इंतज़ार

काश हमने कह दिया होता और तुमने सुन लिया होता कभी तुम भी तो कुछ कहा करो सरे शाम हमसे मिला करो ये जूनून सर पे चड़ा है अब के दिल बुरी तरह बेखबर तूने मुझसे सब कुछ कह दिया वो कहा नहीं जो चाहिए मुझे और कुछ भी न चाहिए इकरार हो तो करार मिले यूँ ही बेसबब न फिरा करे लेके दिल अँधेरी गलियों में गिरे फीर उठे और फीर गिरे कहाँ जाये कहाँ से लेके आये सुकून उम्र भर का हम तुझे तीन लव्ज़ है कहने अपनी जान अटकी हलक में है इसी इंतज़ार में हमदम बेखबर से रहते है कुछ सुनते है कुछ कहते है रौशनी जहाँ को हम तेरे नाम की ही देते हैं

गम न कर

गम न कर ऐ मेरी हमसफ़र वक़्त निकलेगा तो टीस थोड़ी कम होगी जख्मों की खीच थोड़ी नम होगी साँस लोगी तो आह नहीं निकलेगी रुकते क़दमों की आहट संभलेगी आँसू टपकेंगे तो तर जाओगी खुद अपने ही दुखों से उभर जाओगी गम न कर ऐ मेरी हमसफ़र अभी सोचती नहीं पर वक़्त ऐसा आएगा आसमान नीला होगा दिल बहल जाएगा फूलों में खुशबू होगी चेहरे पे नूर बातों में रंगत होगी आखों में सुरूर गम न कर हाथ पकड़ोगी तो दामन ना कोई छुडाऐगा साथ चलने को जमाना बहलाऐगा गम न कर दिल को भर दे तर दे रवानी से फिर बहाना नहीं आँसू कभी इस खुदगर्ज़ पे दर्द डूबेगा आज इसी तर्ज़ पे किस खुदा ने कहाँ है ज़िन्दगी ख़त्म करो एक शख्स पर ही बंदगी वरण करो दिल का मौसम है हरा होगा और अभी और अभी और अभी गम न कर ऐ मेरी हमसफ़र

Traffic jam

Listen to the Raindrops Falling on the car roof Long winding roads Against the lush green hills Blissful road Slivers of Rain Shine against The lights atop Farmhouses boundaries Sitting in the still car Green foliage embracing Walls Music playing On my ipod The game of Patience Plays out Punjabi pop Blaring From a taxi Call centre employees Playing cards Under dull grey skies Still raining Unrelenting wipers Flooded roads Tempers cooled By ceaseless rain Life plays out In a traffic jam Amitabh Singing neela aasman On the radio The sky has Gone to sleep Inching thru Excitement Someone starts fighting Happy motorists Languid breeze Horns blaring Tempers start flaring Lilting tones of Ae khuda mujhko bata Tu rehta kaha mujhko bata Waft to me I wonder... Me, my, myself culture And then people get out And mingle Six hours on the road Life's playing out In a traffic jam

Disposable Desires

Frantic pace Hectic life Take some time To sit and write Life's blues In evening hues Raindrops Blurring views Why such angst Ask yourself Life goes on In Living hell From atop So many heads Crawling living In shanty shacks God made this? I sometimes wonder Living breathing In painful splendor! Honesty, integrity Lives in printed world Commitment Lives in church Principles Are flexible Trust is Incidental Retain balance Equanimity Close your eyes To all that is gritty Go within Meditate Close your eyes Celebrate! Disposable life Disposable values Disposable desires Disposable world Why such angst Ask yourself Life goes on In Living hell

दिलों के बाज़ार

मिलती है इस ज़मीन पर ज़रुरत की सारी चीज़ें एक दिल ही नहीं मिलता सौदे की दुकान में खाली खाली सी वीरान सड़कों पर दिल का सुकून ढूँढता है आदमी कभी काम में, कभी खेल में कभी मेल में, कभी मय में जूनून ढूँढता है आदमी बरसों सूखी बंज़र ज़मीन पर बरसता नहीं पानी तीन प्यार के शब्दों को तरसता है आदमी लव्जों में लपेट के अपनी ज़रूरते खुद ही धोखा खाता है आदमी तसल्ली मिलती नहीं दो पलों के रिश्तों में इन्ही में ज़िन्दगी तराशता है आदमी हर मोड़ पे बिछी है ख्वाहिशों की बस्तियां तेरी और मेरी रंजिशों की हस्तियाँ हर मोड़ पे बनाता है अपने दिल का मकान कोई टूट जाता है कोई तोड़ देता है जब देखो निचोड़ देता है मिलते नहीं इस जहाँ में हमसफ़र बाज़ार में वरना हम भी चंद सिक्के इक्कठे कर लेते दिलों के बाज़ार में मिलती है इस ज़मीन पर ज़रुरत की सारी चीज़ें एक दिल ही नहीं मिलता सौदे की दुकान में

माँ

मैंने जना था उसे सूक्ष्म से स्थूल तक पनाह दी वक़्त को थाम दिया जब अपने शरीर में फला था उसे न मैं थी न मेरा वजूद था बस तुम ही तुम थी नन्ही सी कली मेरे अंश से निकली एक सुन्दर सी परी छोटे छोटे खिलोनो से कैसे ऊबती थी तुम एक चुनरी और पाजेब लेके कैसे घंटों झूलती थी तुम नन्हे पैरों से मेरी दिल की सूखी ज़मीं पे बरसती थी तुम वक़्त बढता ही गया कितने मौसम आये तुम्हारे प्यार का मौसम भी आया जो हमे ना भाया क्योंकर तुमने हिम्मत की अपने ही गोत्र में क्या प्यार को समझा नहीं सकती थी की दूसरा कोई गोत्र खोजो ये लड़का जो पसंद है मुझे इसका मजमून बदल दो मेरी माँ और पिता की पुश्तों से इसे अलग कर दो इतना गुरूर तुम में किस प्यार ने पैदा किया हमसे जनि और हमसे ही न माने फीर एक रात मौका देख तुम्हे मौत सुनाई पंचायत ने करी हमारी इज्ज़त की रुसवाई मुझे किया गुनाहगार जिसको पाला था मैंने अपने हाथों का छाला बनाकर उसी का गला घोटूं जल्लाद बनकर गयी रात मार दिया मैंने उसे तोड़ दी उसकी सासे मिटा दी उसकी आखों से वो रौशनी जो मुझे कभी रास्ता दिखाती थी तुमने कितनी मिन्नतें करी मैंने न सुना अपने जिगर के टुकड़े को काट दिया मैंने गयी र...