पिघलता आसमान
पिघलता आसमान पिघली हुई सड़के गरम धुए सी ये हवा जलते हुए दिल जलते बदन दिल्ली की गर्मियों की ये सबाँ मिटटी से धूल धूल सराबोर मदमाते जलती हुई सडको के करीब पेड़ों की पाँते बड़ते हुए क़दमों के उठते पारे ढोते कितनी उम्मीदों के निशान कतरों में बटी ज़िन्दगी लम्हों में कटी ख्वाहिशें काट के देता हो जैसे कोई रोटी तुकड़ों की तरह.... The latest auto launches and test drives Drag n' drop