नाद है , उन्माद है

नाद  है , उन्माद  है

घनघनाती  भोर  में

बजता  शंख  नाद  है

भू  को  छू  ले  तू  ज़रा

बादलो  को  चीर  के

बिजलियों  का  दिल  जला

इस  धरा  की  नाभि  में

जलते  शोलों  को  पिला

 पिघले  पिघले  सोने  को

मुख  पे  मल  ले  तू  ज़रा

वक़्त  को  आज़ाद  कर

सरहदों  को  भूल  जा

 इंसान  है  भगवान्  है

तुझ  में  सब  जहां  है

टुकड़े  टुकड़े  कर  खुदा  के

बिखरे  बिखरे  लड़खड़ाओ  

टूटे  शीशों के  अक्स  में

हिन्दू  मुस्लिम  सिख  बनाओ

 नाम  पे  भगवान्  के  

मत  बहाओ   नदियाँ  अभी

कशी  और  काबा  का

रहने  दो  ईमान  अभी

 शिव  को  पहचानो

शिव  का  नाम  मस्तक  पर  रखो

शिव  में  झूम  जाओ

शिव  की  शक्तियों  को  भाँप  लो

शिव  ही  शिव  है

अम्बर  जल  धरा  में  भी

तुझमे  और  मुझमें  भी

भाव  और  अभाव  में

दिल  के  हर  तार  में

प्राण  और  ध्यान  में

आँसूओं  के मान  में

अंतरिक्ष  के  भान  में

वक़्त  के  बहान  में

सूक्ष्म  स्थूल  जहाँ  में

शिव  ही  शिव  है

तेरे  मेरे  गान  में

 

ॐ  नमो  शिवाय 

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