नाद है , उन्माद है
नाद है , उन्माद है घनघनाती भोर में बजता शंख नाद है भू को छू ले तू ज़रा बादलो को चीर के बिजलियों का दिल जला इस धरा की नाभि में जलते शोलों को पिला पिघले पिघले सोने को मुख पे मल ले तू ज़रा वक़्त को आज़ाद कर सरहदों को भूल जा इंसान है भगवान् है तुझ में सब जहां है टुकड़े टुकड़े कर खुदा के बिखरे बिखरे लड़खड़ाओ टूटे शीशों के अक्स में हिन्दू मुस्लिम सिख बनाओ नाम पे भगवान् के मत...