बुतपरस्त खुदा

कोई कहता है जा काबा
कोई कहता है मदीना
किसी को नाज़ है तुझ पे
कोई कहता है नगीना

कोई कहता है ख़बरदार
है तोहफा यह ज़िन्दगी
मिलती नहीं हर किसी को
ये रहमत, ये निगेबानी
जो मिले भीख में
उसी से कर तू गुज़र पानी

यह भाग्य है तेरा
अब भी संभल जा ऐ नीच
न मिला है, न मिलेगा
किसी वक़्त इससे सवेरा

क्यूँ ढूँढता फिरे है तू
दर बदर लेके चिराग
जो मिला है उसी से
खुश कर अपना मलाल

या खुदा उठा ले मुझे
या मिटा दे ये खलिश
क्यूँ बुत बना बैठा है
अपने चौबारे पे
देखे है तमाशा

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