गर प्यार व्यापर होता
दिलों के बाज़ार लगते
घाटे में गम क्यों लेता कोई
सब खुशियाँ भरके घर जाते
ना फरहाद पहाड़ का सीना चीरता
ना मजनूं रेगिस्तान में दर बदर फिरता
ना हीर रांझा मरते और ना रोमीओ जुलिएट
ना ही कोई आग के दरिया में डूब के गुजरता
यह जूनून, दीवानगी है, पागलपन है
यहाँ आपकी currency का कोई काम नहीं
जो प्यार करते है वो सौदा नहीं करते
और जो सौदा करते हैं, उसे प्यार नहीं कहते
Comments
Post a Comment