वो भूली सी एक पगडण्डी जाती हैं

उस सूखी नदी के किनारे

गोल सफ़ेद पत्थरों के पार

एक बंजर सा मकान है

वही उस सफ़ेद ओस से घिरी

पहाड़ी के पीछे

मेरे दिल का डेरा बसता है ।

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